Wednesday, February 11, 2015

Lingashtakam.....


 Mallikarjuneshwar


ब्रह्ममुरारि-सुरार्चित-लिंगं निर्मल-भाषित-शोभित-लिंगं | 
 जन्मजदुःख-विनाशक-लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव-लिंगं |१| 

देवमुनि-प्रवरार्चित-लिंगं कामदहं करुणाकर-लिंगं | 
रावणदर्प-विनाशन-लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव-लिंगं |२| 

सर्वसुगन्धि-सुलेपित-लिंगं बुद्धिविवर्धन-कारणलिंगं | 
सिद्धसुरासुर-वन्दितलिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव-लिंगं |३| 

कनकमहामणि-भूषितलिंगं फणिपति-वेष्टित-शोभितलिंगं | 
दक्षसुयज्ञ-विनाशनलिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव-लिंगं |४| 

 कुंकुमचन्दन-लेपितलिंगम् पंकजहार-सुशोभितलिंगं |  
सञ्चित-पाप-विनाशनलिंगम् तत्प्रणमामि सदाशिव-लिंगं |५| 

देवगणार्चित-सेवितलिंगं भावैर्भक्तिभिरेव च लिंगं | 
दिनकरकोटि-प्रभाकरलिंगम् तत्प्रणमामि सदाशिव-लिंगं |६| 

 अष्टदलोपरि वेष्टितलिंगं सर्वसमुद्भव-कारणलिंगम् | 
अष्टदरिद्र-विनाशकलिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव-लिंगं  |७| 

सुरगुरु-सुरवर-पूजितलिंगं सुरवनपुष्प-सदार्चितलिंगं | 
परात्पर-परमात्मकलिंगं तत्प्रणमामि सदाशिव-लिंगं  |८|
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